Movie review: खत्म हो चुकी उम्मीदों के जिंदा होने की कहानी है सूरमा, आखिरी मिनट तक कायम रहता है रोमांच
संदीप (दिलजीत दोसांझ) हरियाणा के एक छोटे से कस्बे शाहाबाद में रहते हैं। 1994 में इसे देश की हॉकी की राजधानी कहा जाता था। कस्बे के ज्यादातर लड़कों का यही सपना है कि उन्हें भारतीय हॉकी टीम में खेलने का मौका मिले। संदीप की आंखें भी इसी सपने से भरी थीं लेकिन यह सपना तब टूटने लगता है जब कोच उनसे कड़ी मेहनत कराते हैं।
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